आईओसी चीफ बोले- शेड्यूल के मुताबिक होगा टोक्यो ओलिंपिक; उनके सहयोगी ने जताई थी खेल रद्द होने की आशंका

इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी (आईओसी) के प्रेसिडेंट थॉमस बैच ने भरोसा दिलाया है कि कोरोनावायरस के खतरे के बावजूद संस्था इन खेलों को निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही कराएगी। थॉमस का बयान इस लिहाज से अहम है क्योंकि एक दिन पहले ही उनके सहयोगी डिक पाउंड ने खेल रद्द होने या टलने की आशंका जाहिर की थी। टोक्यो ओलिंपिक 24 जुलाई से होने हैं। जापान में कोरोनावायरस के 200 केस सामने आए। 4 लोगों की मौत हो चुकी है। प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने 2 मार्च से 12वीं कक्षा तक के सभी स्कूल बंद रखने का आदेश जारी कर दिया है। 


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जापान इन खेलों पर अब तक 12.6 अरब डॉलर (करीब 90 हजार करोड़ रु.) खर्च कर चुका है। खेल टलने या रद्द होने का एथलीट्स पर भी गंभीर असर होगा जो ओलिंपिक का हिस्सा बनने और पदक जीतने के लिए जिंदगी खपा देते हैं। 


एथलीट्स की सुरक्षा अहम
जापान की न्यूज एजेंसी ‘क्योदो’ से बातचीत में आईओसी चीफ ने कहा, “एथलीट्स की सुरक्षा सबसे अहम है। इसके लिए हम जापान और चीन सरकार के अलावा वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के साथ काम कर रहे हैं। संस्था इस बात के लिए संकल्पित है कि टोक्यो ओलिंपिक निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही हों।” हालांकि, उन्होंने आईओसी मेंबर डिक पाउंड के उस बयान पर कोई सीधा जवाब नहीं दिया, जिसमें उन्होंने खेल टलने या रद्द होने की आशंका जाहिर की थी। 


ओआईसी के सामने दो विकल्प
अगर कोरोनावायरस के संक्रमण पर काबू नहीं पाया गया तो टोक्यो ओलिंपिक 2020 का क्या होगा? यह सवाल अभी से उठने लगा है। दो विकल्प हैं। पहला- ओलिंपिक खेलों की तारीख बढ़ा दी जाए। दूसरा- इन्हें रद्द किया जाए। लेकिन, सीएनएन और सीएनबीसी के साथ ही आईओसी के सदस्य डिक पाउंड भी दोनों विकल्पों को खारिज करते हैं। इनके मुताबिक, ऐसा करना बेहद मुश्किल होगा। इसके आर्थिक और मानवीय दुष्परिणाम होंगे। 


टालना क्यों मुश्किल?
जब ओलिंपिक खेल हो रहे होते हैं, उस दौरान दुनिया में कहीं भी खेलों का कोई बड़ा इवेंट नहीं होता। आईओसी समेत हर खेल फेडरेशन का कैलेंडर ओलिंपिक शेड्यूल के हिसाब से ही तय होता है। ऐसा इसलिए होता है, ताकि दुनिया के तमाम बेस्ट एथलीट्स इन खेलों का हिस्सा बन सकें। ब्रॉडकास्टर्स से लेकर स्पॉन्सर्स तक भी यही सुनिश्चित करते हैं, ताकि प्रसारण में किसी तरह का टकराव न हो। जब ओलिंपिक नहीं होता, उस दौरान तमाम तरह के खेल आयोजन होते रहते हैं। फुटबॉल, बास्केटबॉल और बेसबॉल के सीजन चलते रहते हैं।   


कोई प्लान ‘बी’ नहीं
ओलिंपिक खेलों का वैकल्पिक मेजबान भी नहीं होता। लिहाजा, दुनिया के इस सबसे बड़े खेलों का आयोजन आननफानन में किसी और देश या शहर में भी नहीं किया जा सकता। पाउंड के मुताबिक, इन खेलों को रद्द करने या टालने का सबसे गंभीर असर एथलीट्स पर होगा। इन खेलों में हिस्सा लेने और पदक जीतने के लिए वो पूरी जिंदगी लगा देते हैं। 


आर्थिक नुकसान कितना?
सीएनबीसी के मुताबिक, 2016 से अब तक आईओसी ने टोक्यो ओलिंपिक 2020 के लिए 5.7 अरब डॉलर (40 हजार 470 करोड़ रुपए) रेवेन्यू जुटाया। इसका 73 फीसदी हिस्सा मीडिया राइट्स बेचने से आया। बाकी 27 फीसदी प्रायोजकों यानी स्पॉन्सर्स से मिला। अगर खेल रद्द होते हैं तो आईओसी को यह रकम लौटानी होगी। इतना ही नहीं आईओसी दुनियाभर में एथलीट्स के लिए स्कॉलरशिप, एजुकेशन प्रोग्राम्स के साथ ही फेडरेशन्स से जो फंड जुटाता है, वो भी उसे लौटानी होगी। 


जापान का क्या होगा?
टोक्यो ओलिंपिक 2020 की मेजबानी जापान के पास है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, वह तैयारियों पर अब तक 12.6 अरब डॉलर खर्च कर चुका है। कुल अनुमानित खर्च इसका दो गुना यानी करीब 25 अरब डॉलर है। चिंता की बात ये है कि डिक पाउंड के टोक्यो ओलिंपिक पर बयान के बाद जापान की सबसे बड़ी एड एजेंसी देंत्सू के शेयर सात साल के सबसे निचले स्तर पर आ गए। पाउंड ने टोक्यो ओलिंपिक को रद्द करने या तारीख बढ़ाने की चर्चा की थी।